निगम कर (Corporate Tax) क्या है

कॉर्पोरेट टैक्स व्यवसायों पर लगाया जाने वाला कर है। किसी व्यवसाय को कब और किस दर पर इस कर का भुगतान करना होगा इसके बारे में अलग-अलग देशों के अलग-अलग नियम हैं। और हम इस आर्टिकल के द्वारा जानेंगे कि निगम कर क्या है, निगम कर के कितने है और निगम कर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें।

निगम कर (Corporate Tax) क्या है?

कॉरपोरेट टैक्स एक प्रकार का प्रत्यक्ष कर है जो व्यवसाय अपने मुनाफे पर चुकाते हैं। कंपनी कितना लाभ कमाती है। इसके आधार पर अलग-अलग दरें हैं। भारत में कॉर्पोरेट टैक्स कंपनी की कमाई पर बेचे गए सामान की बिक्री लागत, मूल्यह्रास, सामान्य और प्रशासनिक खर्च जैसी कटौती के बाद भारत में कॉर्पोरेट टैक्स कंपनी की कमाई पर लगाया जाता है। कॉर्पोरेट टैक्स केंद्र सरकार द्वारा एकत्र और लगाया जाता है। यह राज्यों के बीच वितरित नहीं किया जाता है।

note
सरकार ने आर्थिक विकास, निवेश और रोजगार जैसी चीज़ो को बढ़ावा देने के लिए कॉर्पोरेट कर की दर में कटौती की घोषणा की है।

निगम टैक्स इतिहास 

1960-61 से पहले, भारत में कंपनियों पर ‘सुपर टैक्स’ नामक एक टैक्स लगाया जाता था। 1960-61 में इसे समाप्त कर दिया गया और फिर इसके स्थान पर कंपनियों के लाभ पर ‘निगम कर’ नामक टैक्स लगाया जाने लगा ।

यह कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत निजी और सार्वजनिक दोनों कंपनियों और निगमों पर लगाया जाता है।

निगम कर के प्रकार 

भारत में निगम कर को दो प्रकार से बाँटा गया है, घरेलू निगम(Domestic Corporation) और विदेशी निगम (Foreign Cooperation) और इन कर के बारे में सम्पूर्ण जानकारी नीचे दी गई है। 

घरेलू निगम(Domestic Corporation)-

एक कंपनी जो भारत में स्थापित है और भारतीय कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत पंजीकृत(Registered) है, घरेलू कॉर्पोरेट कहलाती है। यहां तक ​​कि एक विदेशी कंपनी को घरेलू कॉर्पोरेट माना जा सकता है यदि भारतीय इकाई का प्रबंधन (Indian Unit Management) और नियंत्रण पूरी तरह से भारत में स्थित है।

घरेलू कंपनियों के लिए भारत में कॉर्पोरेट टैक्स की दरें

आय की सीमा(Income Limit)                  कर की दर
400 करोड़ रुपये तक की आय पर                   25%
400 करोड़ रुपये से अधिक आय पर                   30%
घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दरें

ऊपर सूचीबद्ध दरों के अलावा, अधिभार दरें भी हैं।

आय           घरेलू कंपनियां
कुल आय 1 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये के बीच।              अधिभार दर 7%
कुल आय 10 करोड़ रुपये से अधिक।              अधिभार दर 12%
घरेलू कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दरें

विदेशी निगम (Foreign Cooperation)-

यदि कोई कंपनी भारत के बाहर दूसरे देश में स्थित है तो उसे तकनीकी रूप से विदेशी निगम कहा जाता है। यदि इसके प्रबंधन और नियंत्रण का कुछ हिस्सा भारत के बाहर स्थित है, तो इसे विदेशी कंपनी भी कहा जाता है।

विदेशी निगम कंपनियों के लिए भारत में कॉर्पोरेट टैक्स की दरें

आय कर की दर
1 अप्रैल, 1976 से पहले प्रदान की गई कुछ तकनीकी सेवाओं के लिए सरकार या एक भारतीय फर्म से रॉयल्टी शुल्क मिला।50%
आय का कोई अन्य स्रोत40%
विदेशी निगम कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दरें

ऊपर सूचीबद्ध दरों के अलावा, अधिभार दरें भी हैं।

आय       विदेशी कंपनियां
आय 1 करोड़ रुपये से 10 करोड़ रुपये के बीच।            अधिभार दर 2%
कुल आय 10 करोड़ रुपये से अधिक है।            अधिभार दर 5%
विदेशी निगम कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दरें

निगम कर का महत्व

  • निगम कर किसी भी सरकार के लिए राजस्व का एक महत्वपूर्ण सोर्स हैं। निगम करों में आने वाला राजस्व का भुगतान सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं जैसे- स्कूलों, अस्पतालों, सड़कों तथा रक्षा क्षेत्र के वित्तपोषण (Financing) में मदद मिलती है। 
  • कॉरपोरेट टैक्स किसी भी क्षेत्र में संचालित होने वाले व्यवसायों के स्थान और कई प्रकार स्थानों को भी प्रभावित कर सकता है, क्योंकि टैक्स की दर के आधार पर किसी विशिष्ट क्षेत्र में निवेश करने की उनकी कम या ज्यादा संभावना हो सकती है।
  • इसके अलावा, कॉर्पोरेट टैक्स के अन्य आर्थिक और सामाजिक प्रभाव भी हो सकते हैं।

निगम कर को चुनौतियां 

  • प्रोत्साहन अल्पावधि(Incentive Short Term) में निवेश को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन इससे राजस्व का नुकसान भी हो सकता है जिससे केंद्र को राजकोषीय घाटे की समस्या हो सकती है।
  • कॉर्पोरेट क्षेत्र में कटौती सिर्फ आपूर्ति वाले पक्ष के लिये उठाया गया कदम है, जबकि वास्तविक मुद्दा उपभोक्ता मांग की कमी को दूर करना है।
  • लाभ प्राप्त करने वाली कंपनियों को शर्तों का पालन करना होगा, और ऐसा नहीं तो इससे कानूनी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
  • कॉरपोरेट टैक्स में कटौती होगी तो, राज्यों को केंद्र से कम पैसा मिलेगा, जिससे उनके राजकोषीय घाटे में कमी आ सकती है।
  • व्यक्तिगत आय में वृद्धि की कमी के कारण, मांग में सीमित वृद्धि ही देखने को मिलेगी।

निगम कर की महत्वपूर्ण बातें 

  • 2021-22 में निगम कर के द्वारा केंद्र सरकार को 7.12 लाख करोड़ रुपए का लाभ हुआ। 
  • कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर 30% से घटाकर 22% कर दी गई है। 
  • विनिर्माण क्षेत्र(Manufacturing Sector) में, अक्टूबर 2019 को या उसके बाद स्थापित और 31 मार्च, 2023 से पहले उत्पादन शुरू करने वाली कंपनियों को 15% कॉर्पोरेट टैक्स दर का लाभ मिल सकता है।
  • कर छूट और प्रोत्साहन (Incentive) प्राप्त करने वाली कंपनियों की मदद करने के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर (Minimum Alternative Tax)  को 18.5% से घटाकर 15% कर दिया गया।

निगम कर की दर कम होने से लाभ 

  • निजी क्षेत्र में निवेश को प्रोत्साहित मिलेगा, जिससे राजस्व और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
  • निजी निवेश को आकर्षित करता है और प्रतिस्पर्धा (Competition) और रोजगार के अवसर पैदा करता है।
  • शेयर बाजार के निवेशकों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। कंपनियां टैक्स बचत का लाभ अपने निवेशकों को देंगी, जिससे बाजार में तेजी आएगी।
  • पूंजीगत लाभ (Capital Gains) में वृद्धि होगी, जिससे अधिक बचत हो सकती है।
  • इस बात की अच्छी संभावना है कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (Non-Banking Financial Companies) से जुड़े क्षेत्रों में बचत को बढ़ावा मिलेगा।
  • सरकार की इस पहल का कंज्यूमर गुड्स सेक्टर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

FAQ- Corporate Tax In Hindi

कॉरपोरेट टैक्स का मतलब क्या है?

भारत में कॉर्पोरेट टैक्स घरेलू और विदेशी दोनों कंपनियों पर लगाया जाता है। जैसे आय अर्जित करने वाले सभी व्यक्तियों को अपनी आय पर कर का भुगतान करना होता है, व्यावसायिक घरानों को भी अपनी अर्जित आय का एक निश्चित भाग कर के रूप में देना होता है। इस कर को कॉर्पोरेट कर, निगम कर या कंपनी कर के रूप में जाना जाता है

कॉरपोरेट टैक्स कौन भरेगा?

भारत में कॉर्पोरेट टैक्स, कंपनी की कमाई पर बेचे गए सामान की बिक्री लागत, मूल्यह्रास, सामान्य और प्रशासनिक खर्च जैसी कटौती के बाद भारत में कॉर्पोरेट टैक्स कंपनी की कमाई पर लगाया जाता है।

भारत में सबसे बड़ा कॉर्पोरेट करदाता कौन है?

रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries)
रिलायंस इंडस्ट्रीज 16,297 करोड़ रुपये के टैक्स और 60,705 करोड़ रुपये के लाभ के साथ भारत की सबसे बड़ी कंपनी है। इसके चेयरमैन अरबपति मुकेश अंबानी देश के सबसे अमीर लोगों में से एक हैं।

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